DIGITAL WORLD – क्रांति या भ्रान्ति

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ये विषय मेरे लिए बहुत ही संजीदा है, जिसमें कुछ स्पष्ट नहीं है, लेकिन फिर भी स्पष्ट मानने का प्र्यत्न किया जा रहा है |

Because this is the trend bro!

मुझे तो इस मामले में हम Humans की mentality ही समझ नहीं आती | Market में कुछ भी नया आता है तो हम उसके पीछे पागलों की तरह भागते हैं | “भाई iPhone का नया सेट आया है |” “ओह यार इस बार तो पक्का Mac लेना है |” लेकिन फिर भी जब Digital शब्द आता है, तो सब अपनी शिकायतों का पिटारा लेकर आ जाते हैं | ” यार सब डिजिटल हो गया है, किसी के पास टाइम ही नहीं है किसी के लिए, आँखों को कितना नुक्सान देता है, हमारा तो कल्चर ही डूब रहा है इसके कारण |” पता नहीं और कितना कुछ | लेकिन ये तो सोचो ये सब कर कौन रहा है? आप जो सबके busy होने की शिकायत कर रहे हो, क्या आप अपने Parents लिए free हो? क्या आप अपनी आँखों को बचाने के लिए रात को 8 बजे ही Mobile switch off कर देते हो?

हाँ ठीक है, युग digital  हो गया है | पर क्या बुराई है इसमें, अगर आप लोग इसके साथ खुश हो तो? इन सब का invention हमारी ही सहूलियत के लिए किया गया है | मोबाइल में whatsapp, Facebook, instagram, Ola, Skype ये सब होते हुए भी आप उस debate की stage पर हो, जहाँ इन सब की खूब बुराई चल रही है | *Slow Claps*

 मैं वो Boring सी line नहीं बोलूंगी, कि हर चीज का कुछ अच्छा होता है और कुछ बुरा | लेकिन मैं ये बोलूंगी कि किसी का कुछ बुरा और कुछ अच्छा नहीं होता | उस चीज का अच्छा होना या बुरा होना आप खुद चुनते हो | Exam के समय पर, एक दोस्त ने whatsapp delete  कर दिया और दूसरे ने इस्तेमाल किया | पहले वाले के marks दूसरे से ज्यादा आ गए | और अब दूसरा वाला बैठ कर whatsapp को कोस रहा है | अब आप बताइये  इसमें गलती किसकी थी? इस बेजान whatsapp की या इस बेजान चीज को नचाने वाले इंसान की ?That’s all your Honour!

कई लोग इस डिजिटल होते हुए युग को सिर्फ एक भ्रान्ति मतलब Just an illusion के रूप में देखते हैं, और कुछ हद्द तक बात सच है | कहने को ये संसार उनत्ति की तरफ बढ़ रहा है, लेकिन क्या सच में उन्नत हो रहा है ये युग ? देखा जाये तो हमारे पास हर एक वस्तु है जिसकी हमने कामना की हो पर क्या ये चीजें वही कर पा रही है, जिस के लिए हम इनको बनाना चाहते थे? क्या Social media सच में लोगो को पास लाने का काम कर रहा है? मैं बिल्कुल मानती हूँ, कि इसकी invention इसी काम के लिए की गयी थी, और ये अपना काम बखूबी कर रहा है, लेकिन क्या हम इसके काम के मुताबिक चल रहे है? Facebook friends के  लिए अपने Parents को ignore करना, एक drink के साथ Instagram पर दिखावे के लिए photo upload करना और अगले ही पल वो drink अच्छी ना लगने पर फेंक देना | और भी कितना ड्रामा |

ये सिर्फ एक Illusion बन चुका है, कि हम प्रगति कर रहे है | लेकिन असल में प्रगति का मतलब है, एक कदम आगे बढ़ना | सिर्फ नए-नए gadgets बना कर नहीं, बल्कि एक नई सोच ले कर आना | क्या हम नयी सोच में जी रहे हैं? क्या नई सोच ली हमने? Social media पर show off करना और खुश रहने का ढोंग करना? इस digital World में हम समय से चलना तो सीख गए, लेकिन किस जगह कितना चलना है, वो नहीं सीख पाए | क्यूंकि इस World ने हमारे दिमाग तो खोल दिए, लेकिन आँखें बंद कर दी | 

नए युग में डिजिटल सोच के साथ कदम से कदम मिला कर चलना बहुत जरूरी हो गया है | क्यूंकि फिर आप सिर्फ अपनी नज़रो में ही नहीं पर सामाज की नज़रो में भी छोटा और पिछड़ा हुआ साबित हो जाते हो | हम अब बैठे-बैठे सब करना सीख गए हैं, बैठे-बैठे खाना आ जाता है, बैठे-बैठे टीवी चल पड़ता है | बैठे-बैठे रोबोट आपका सब काम कर देते हैं | लेकिन इन सुविधाओं के नशे में हम इनको बनाने के असली मक़्सद को भूल जाते हैं | इन सब को बनाया गया था, ताकि ये Humans की help कर सके, ना कि उन पर राज़ |

इसका मतलब यह नहीं है, कि ये उन्नति को देख कर मैं खुश नहीं हूँ | लेकिन मैं आप सब तक एक ही message पहुँचाना चाहती हूँ कि, Raise your voice, don’t be a part of herd! सिर्फ इसलिए कि लोग इस उन्नति को बुरा बोल रहे हैं, तो मैं भी इसे बुरा बोलूंगा, या अच्छा बोलूंगा | इन सब से कुछ नहीं होगा | Digital World में रहना चाहते हो, तो इसमें contribute करना सीखो | इसको appreciate करना सीखिए | लेकिन अगर आपको इससे आपत्ति है, तो इस उन्नति से पहले खुद पर control कर के देखिये | आपको सब अपने आप समझ आ जायेगा |

ये किसी के लिए क्रांति है, तो किसी के लिए भ्रान्ति भी  है | लेकिन एक बार दिमाग की जगह उन आँखों से देख कर देखिये | असल उन्नति खुद-ब-खुद आपके सामने आ जाएगी |

Dr. Geetanjli
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