From your valentine

3,422

आप मेरे टॉम हैं और मैं आपका जेरी हूं

हर बार की तरह प्रेम पुजरियों की नवरात्रों का आरम्भ हो चुका है, पर इस साल का वैलेंटाइन डे खास है क्योंकि इस बार स्पर्धा धतूरे और गुलाब के बीच है। इसलिए प्रेम पुजरियों के लिए स्थिति और भी विकट है क्योंकि अगर सही फूल सही जगह नही चढ़ा तो उनके जीवन में तांडव होना निश्चित है।

बहरहाल हर बार की तरह इस बार भी सोशल मीडिया के जंगल में मौजूद बेरोजगार प्रजाति के जीव जन्तु भी कश्मीरी पत्थरबाजों की तरह memes की बौछार किए जा रहे हैं । वॉट्सएप्प University के बुद्धिजीवी भी आजकल सोशल मीडिया के माध्यम से प्रेमी युगलों को मारकर चरसा फाड देने की धमकी के अपने काम में लग गये हैं और साथ साथ फेसबुक के तुर्रमखां भी वॉट्सएप्प बुद्धिजीवियों पर ट्रोलस बनाने के काम में लग गए हैं।

आधिकतर लोगों के लिए वैलेंटाइन डे फूल, चॉकलेट और कार्ड के आदान – प्रदान का एक पर्व है। लेकिन हक़ीक़त में किस्सा कुछ यूं है की आज से बहुत सालों पहले रोम में एक फकीर हुए थे जिनकी पहचान valentine के नाम से थी। सब कुछ खैरियत से चल ही रहा था की अचानक रोम में एलान -ए – जंग हो गया और वहां के शहंशाह क्लौदियस ने शादियों पर रोक लगाने का फरमान जारी कर दिया । पर बाबा जी भी कहाँ मानने वाले थे? लगे रहे शादी करवाने में बस फिर क्या था शहंशाह को खबर लग गयी और बाबा जी टांग दिए गए, सूली पर। टाँगे जाने से पहले बाबा जी एक पर्ची छोड गए जिस पर लिखा था from your valentine और तभी से उनकी शहादत को नमन करते हुए यह दिन प्रेम और प्रेमियों को समर्पित हो गया।

सालों पहले जब फ्रेड क़ुइम्बी ने टॉम और जैरी की शुरुआत की थी तब शायद उन्होने ने भी कल्पना नही की होगी की आगे चलकर यह चूहा- बिल्ली का सिर फुटौव्वल लैला – मजनू, रोमियो – जूलियट और हीर रांझा की तरह इश्क़ का तक़िया कलाम बन जाएगा। जहाँ एक तरफ चूहा – बिल्ली एक दुसरे के कट्टर बैरी माने जाते हैं वहीं दुसरी तरफ टॉम ऐण्ड जैरी ने इस धारणा को एक नयी दिशा दी जो यह कहती है किसी भी रिश्ते के सफर का पहला पड़ाव नोक-झोंक है।

शायद टॉम और जैरी की धारणा इसलिए भी प्रासंगिक है क्योंकि इनमे एक छुपा हुआ सन्देश यह भी है की प्रेम भाव सदैव ही रंग, आकार, जाति – प्रजाति भेद से अछूती रही है और इसको किसी दायरे में समेटना लगभग आसम्भव है।

आमतौर पर इंसानी फितरत मीठा मीठा गप्प कडवा कडवा थू वाली होती है । यही कारण है की बहुत सी प्रेम कथाएँ इसलिए इंतकाल फरमा जाती हैं क्योंकि शायद बहुत से टॉम और जैरी एक दुसरे की खामियों के साथ गले नहीं लगा पाते । आज के भौतिकतावादी युग में वैलेंटाइन डे की का हश्र एक मृगतृष्णा जैसा ही रह गया है जिसका अस्तित्व सिर्फ फौरी तौर पर रह गया है । यहां फूल, चॉकलेट, कार्ड और हर प्रकार का ऐश्वर्य है पर सिवाय प्रेम के। शायद इसिलिए सन्त कबीर दास ने बखूबी कहा था “प्रेम न बाड़ी ऊपजे, प्रेम न हाट बिकाय!”

Anju
Comments

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More