I hate my Parents!

“अरे चाचा का लड़का हुआ तो क्या हुआ, अब whatsapp  के ज़माने में घर कौन मिलने  जाता है?”

कुछ अजीब लगा ? नहीं ना ? मुझे भी नहीं लगा I सही तो कहा अब कौन मिलने जाये? इतने महंगे मोबाइल का क्या फायदा अगर घर ही जाना था तो Iअब क्या फर्क पड़ता है कोई बीमार है ,कोई दूर का रिश्तेदार है या पास का I  मोबाइल है ना  🙂

अब कुछ अजीब लगा? मुझे लगा ! देखो जब आप Family word कही लिखा हुआ पढ़ते हो ना, बहुत सारे Emotions आते है अचानक से मन में, जैसे कुछ अपना सा I चाचा का बेटा हो या मामा का, अब है तो अपना ना I पर क्या करे……समय कहाँ  से लाएं ?

देखो ये तो सबको पता है, “Typical  word  doesn’t  exist  anymore ! ” छोड़ आये हम वो दिन जब पापा लोग सुबह-सुबह टिफ़िन हाथ में पकड़ कर दरवाजे से निकलते थे और मम्मी दरवाजे पर हाथ हिलाते हुए अपने आंसू पोंछते , Just  like वो पुराने ज़माने के टीवी serials की संस्कारी बहु I पर भाई अब तो Competition है ना, और हो भी क्यों नहीं अब पैसे किसको नहीं चाहिए I

थोड़ा सा आगे सोच कर देखे तो, दो तरह के परिवार देखने को मिलते हैं, एक तो ‘हम दो, हमारे दो (या चलो एक)’ Types और दूसरे हम दो, हमारे दस ! Of course 10 बच्चे नहीं, पर भाई, भाभी, मम्मी, पापा, और फिर पापा के पापा और मम्मी भी तो होंगे ना I In short, संस्कारी फैमिली! और जब हम ऐसी संस्कारी, मतलब joint फैमिली की बात करते हैं, तो आपको वो दोस्त याद आती है, जो हर बार मिलने पे एक ही सवाल करती है, “हे राम! तू कैसे एडजस्ट करती है इतनी बड़ी फैमिली में ? It is so  suffocating  you know!” पहली बात तो ऐसी बहु कहाँ से लाये जो joint फैमिली के नाम पर बड़ी वाली स्माइल दे, और बोले ‘I Loveeeee  joint  family!’ At least एनसीआर (NCR ) में तो नहीं I

थोड़ा और आगे सोचे तो आते हैं बच्चे ! अब बच्चों के आगे और नखरे, अरे भाई standard  है उनके भी I आप उनकी मर्जी के बिना घर की चप्पल पहन के बाहर चले गए ? OH  SHIT ! अब वो सोसाइटी में क्या मुँह दिखाएंगे ? Insult करवा दी ना I और एक अलग सा ही phase होता है जब वो 13-14 साल के होते हैं , क्योंकि उस समय उनके सबसे बड़े दुश्मन होते हो आप ! अरे! आपने बारिश के  दिन उनको पार्क में जाने से मना कर दिया?

 “I HATE MY PARENTS ! ” 

और इन सब से बड़ी बात है TIME  !

सच में सोच कर देखना, आखिरी बार आपकी फैमिली ने मिल कर कोई गेम कब खेली थी? या एक समय का खाना साथ में बैठ कर कब खाया ? आपको ये पता है कि बच्चे अपने दोस्तों के साथ ज्यादा समय क्यों बिताना पसंद करते हैं? यहाँ  तक कि हम लोग भी I  सबको अपनी फैमिली से ज्यादा फ्रैंड्स के साथ बैठना, गप्पे लगाना पसंद है, क्यों? क्योंकि वो आपको सुनते हैं, Discuss  करते हैं I पर हमारी फैमिली में तो वो प्रथा नहीं है ना I हम सब बस एक रोले प्ले करते है और सो जाते हैं I That ‘s all !

और वैसे भी एनसीआर के लोगो की लाइफ की स्पीड तो ऑटो या टैक्सी के मीटर से भी ज्यादा तेज़ है I सोने को मिल जाये इससे ज्यादा क्या चाहिए उनको?

पर फिर भी, देखा जाये तो बहुत सारे Ways हैं, ये Hi-Fi लाइफ को थोड़ा नार्मल बनाने के,

जैसे:

1. हर रोज, Dinner के बाद की 10 मिनट की ‘family  walk ‘ I

2. अपने बच्चों के दोस्तों से मिलो I

3. बच्चों से थोड़ा मज़े के अंदाज़ में बात करो I

4. हफ्ते में कम से कम एक बार तो खाना साथ में मिल कर खाओ, और हो सके तो बनाओ भीI

5. अपने Culture को अपनी busy लाइफ में मत धकेलो! Enjoy it !

तो इसी के साथ आज का कार्यक्रम बस यही तक, आपसे फिर से मुलाकात होगी, तब तक के लिए खुदा हाफिज़ ! 

Ting Tong 

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