Baisakhi Festival of India
The name means nothing but the feeling does!
आज मुझे 3 साल हो गए पंजाब से दिल्ली आये हुए , पर कुछ चीज़े आप पर नहीं पर आपके मन पे असर कर जाती हैं! मैं भी उन ही में से एक हूँ जो बोलते है, दिवाली हो लोहडी हो या वैसाखी, पंजाब जैसी बात कही नहीं! आपने भी यही dialogue हजारो बार सुना होगा, और बात सच भी है! लेकिन आजकल मैं हमेशा एक बात सोचती हूँ, कि क्या सच मे पंजाब वाली बात पंजाब में अब भी है? मेरा मतलब है कि पंजाब अब भी त्यौहार वैसे ही मनाता है जैसे मनाता था? ये प्रॉब्लम सिर्फ पंजाब में ही नहीं है, जब मैंने यह एनसीआर ( NCR ) के लोगो से पूछा उन्होंने भी यही बात बोली! यहाँ तक कि मुझे नहीं लगता हमारी आज की पीढ़ी और आगे आने वाली भी, उनको ये भी पता होगा कि वैसाखी मनाई क्यों जाती थी? ( But yes , Google can always help )
तो उन लोगो को जिनको अभी भी पता नहीं लग पाया कि मै किस बारे में बात कर रही हूँ , खास उनके लिए एक छोटी सी Introduction to Vaisakhi:
हिन्दू कहो या सिख, वैसाखी हर एक के लिए बड़ी खास है ! जहा सिखों के लिए ये खालसा पंथ का स्थापना दिवस है, वही हिन्दू इस दिन को आर्य समाज की स्थापना का दिन मानते है और किसान फसल काटकर इस दिन को मानते हैं I अलग अलग नामों से ये दिन अलग-अलग जगहों पर मनाया जाता है जैसे- बिहू में रोंगाली, नाबा बर्षा बंगाल में, पुथांडु तमिल नाडु में, केरला में पूरम विशु और वैशाख बिहार में !
और जैसे हम बात कर रहे थे पंजाब की वैसाखी , तो ऐसा क्या है जो उसको ख़ास बनता है? मै बताती हूँ!
- वैसाखी के मेले : सबसे पहली और खास बात, शहर छोटा हो या बड़ा, कोई ही एक ऐसा शहर होगा जहा वैसाखी का मेला न लगाया गया हो! वो रौनक, वो रोशनी, लोगो को खुद अपनी तरफ आकर्षित कर देती थी!
- गुरुद्वारे सजाये जाते है अभी भी, सत्संग होते है. और सुबह सुबह उठकर गुरुद्वारे में नहाने जाना और भी बहुत कुछ ! यह सब आपको एक त्यौहार का अलग से ही आभास करवा देता है.
और हम बात कर रहे थे की ऐसा क्या हो गया कि लोगो में इसकी कुछ अलग से उत्साह या ख़ुशी ही नहीं! ख़ासकर एनसीआर के लोग, जो अपने कामो में इतना मशगूल है कि कोई त्यौहार आता भी है, तो उसको ‘Office holiday ‘ बोल कर खुश हो जाते है , कि चलो एक दिन तो देर तक सोने को मिलेगा और छुटी के दिन भी बाहर न जाने का बहाना ये दिया जाता है कि , ” एक ही तो छुटी मिली है, आराम करने दो! ” वैसे बात तो सही है कि हम सब अपने कामो से इतना थक चुके है , कि कहाँ होश है कि कौन सा त्यौहार हो कर चला गया, और इन सब के चककरो में हमारे त्यौहार बस ‘Holiday ‘ बन कर रह गए.
दूसरा सत्य देखा जाये तो, जैसे-जैसे हमारे बड़े बुजुर्ग कम होते जा रहे है, हमारी संस्कृति उस Black buck के जैसे दुर्लभ होती जा रहा है! क्योकि वैसे भी हम यूथ को और अपने कार्यों से ही फुर्सत नहीं, त्यौहार क्या मनाएंगे! लेकिन हाँ दिवाली पर हाथ में पटाखे रख के जलाते हुए कि वीडियो Instagram पर डालने में हमें कोई प्रॉब्लम नहीं! हमने अपनी लाइफ को इतना Complicate और sophisticate कर दिया है कि ये सब बस अब event organize करने के बहाने बन कर हमारे सामने आये हैं, वो भी Indoors!
यह छोटी-छोटी चीजें हम सब देखते है, महसूस भी करते है पर फिर भी हमारे पास एक मिनट रुक के इन सब को Realize करने का टाइम नहीं है, पर हाँ सुबह उठ कर वो ‘हैप्पी वैसाखी’ वाला मैसेज जरूर फॉरवर्ड कर देना है, सोसाइटी में अपना स्टेटस भी तो देखना है, फिर क्या फर्क पड़ता है कि आपने उस मेसेज में लिखा क्या है वो पढ़ा भी हो या नहीं! Anyway …
आपको और आपके परिवार को वैसाखी की शुभ कामनाये ! (नहीं नहीं, फॉरवर्ड नहीं किया 😉 )