नयी सुबह ; नयी सोच- एक छोटा सा प्रयास

534

नयी सुबह ; नयी सोच– एक छोटा सा विचार। गुरुग्राम के रहने वाले अशोक बांगा जी के मन में एक विचार आया की “अपने व् परिवार के लिए तो हम काम कर ही रहे हैं, लेकिन समाज के लिए कुछ करने का मन है जिससे मन को सुकून मिले”

अशोक जी ने अपने मन में आये इस विचार को अपने चार दोस्तों के साथ सांझा किया जो उनके जैसी सोच रखते हैं।

मनोज कुमार जी (भारतीय वायु सेना से सेवानिवृत्त) राजकुमार जी, आशीष जी व् मनीष जी। एक छोटी सी सोच ने इस मंच – नयी सुबह ; नयी सोच की नीवं रखी।

नयी सुबह ; नयी सोच ये केवल एक मंच ही नहीं है बल्कि एक विचारधारा है और हमारा भी मानना है की “सोच बदलो, देश बदलेगा” – राजकुमार जी, प्रवक्ता- नयी सुबह ; नयी सोच

हमारे 3 उद्देश्य है:

  1. बच्चों और युवाओं को बेहतर कल के लिए तैयार करना।
  2. रोज़गार उत्पन्न करना
  3. नयी पीढ़ी को परिवार और समाज से जुड़े रहने के लिए प्रेरित करना।

वो कहते हैं न की अगर आपकी सोच सही है, मेहनत सच्ची है, तो आपको अच्छे लोग मिलते चले जायेंगे और कारवाँ आगे बढ़ता रहेगा।

एक विचार, पांच लोगों से शुरू हुआ ये छोटा सा मंच अब एक 100 से ज्यादा लोगों का कारवाँ बन चुका है। महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों व् युवाओं सब में उतना ही जोश है जितना की इस विचार में।

कल हम क्या थे? कल हमारे जीवन में क्या हुआ? कल कौन हमारे साथ था? कल हमारे विचार कैसे थे? हम बीते हुए कल को तो नहीं बदल सकते, लेकिन एक नयी सुबह हमारा इंतज़ार कर रही है। बीते हुआ कल की यहीं छोड़ कर आने वाले कल को बेहतर बनाने का एक प्रयास है नयी सुबह ; नयी सोच।

मंच की सोच श्रीमद् भगवद्गीता से प्रेरित है व् बहुत ही स्पष्ट है “परस्परं भावयन्तः श्रेयः परमवाप्स्यथ” अर्थात एक दूसरे को उन्नत करते हुए ही सब लोग ज्ञानप्राप्ति द्वारा मोक्षरूप परमश्रेय को प्राप्त कर सकते हैं।

मंच में राजनीती व् किसी धर्म के विरोध के लिए न आज कोई स्थान है, न ही भविष्य में होगा। हमें विश्वास हैं कि हमारे प्रयास समाज की सोच को बेहतर करने में सफल होंगे। लोग जुड़ते जायेंगे और कारवाँ बढ़ता चला जायेगा। – अशोक बांगा – नयी सुबह ; नयी सोच

Dr. Geetanjli
Comments

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More